11वीं सदी का है धमतरी का अनोखा नागदेव मंदिर, जहां सांप करते हैं वास, लोगों को नहीं पहुंचाते नुकसान
• devendra kumar
धमतरी। ग्यारहवीं सदी के नाग देव मंदिर में आज नागपंचमी पर बड़ी संख्या में भक्त जुटेंगे। सावन मास में नाग देव की अर्चना करने के लिए भक्त अपने-अपने तरीके से नाग देव के प्रति आस्था प्रकट करेंगे। बता दें कि धर्म की नगरी में एक से बढ़कर एक प्राचीन मंदिर है। इनकी गाथा अदभुत है। कुछ इसी तरह का मंदिर हटकेशर वार्ड स्थित नाग देव मंदिर है।
दिलीप देवांगन, श्याम देवांगन, गेंदूराम साहू, धनीराम पटेल, जगत साहू ने कहा कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया था कि वर्तमान में जो नाग देव मंदिर है, वहां पूर्व में घनघोर जंगल हुआ करता था। नाग देव की प्रतिमा भू-गर्भ से निकला है, लेकिन यहां सांपों का वास अधिक होने से वहां जाने का साहस कोई नहीं जुटा पा रहा था।
इस बीच कुछ बुजुर्ग हिम्मत जुटाकर एक दिन वहां पहुंचे। उनके द्वारा नाग देव की प्रतिमा की पूजा की गई। धीरे-धीरे नाग देव के प्रति लोगों में आस्था जागती गई। इस तरह खुले में रहने वाले नाग देव महाराज की प्रतिमा को सुरक्षित करने जनसहयोग से छोटा मंदिर निर्माण कराया गया।
मंदिर के पुजारी एवं युग पुरोहित नारायण कौशिक ने बताया कि नागदेव युवा एवं महिला संगठन द्वारा नागपंचमी पर्व को आज उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। नाग देव का विशेष अभिषेक, श्रृंगार, महाआरती विधि विधान से किया जाएगा।
नहीं हुई सर्पदंश की घटना
वार्ड के लक्ष्मीनारायण साहू, गेंदूराम साहू, गोपी शांडिल्य ने बताया कि एक समय था जब नाग देव मंदिर परिसर में कई सांप विचरण करते रहते थे। लोग मंदिर में पूजा-पाठ करने आते थे, लेकिन कभी भी किसी को इन सांपों ने हानि नहीं पहुंचाया।
हालांकि वर्तमान में आसपास घने बसाहट की वजह से सांपों की संख्या कम हो गई है, लेकिन अभी भी मंदिर में नागों का वास है। जो समय-समय पर दर्शन देते रहते हैं। वार्ड में आजतक सर्पदंश की घटना नहीं हुई है। कुछ ग्रंथों में हाटकेशर नाम भी अंकित है। इससे जानकारी मिलती है कि पूर्व में यह हाटकेश्वर ही था। ठीक उसी तरह जैसे धमतरी का नाम पूर्व में धरमतराई था, जो अब धमतरी हो गया है।
