जनजाति गौरव दिवस एवं भगवान बिरसा मुण्डा जी की 150वीं जयंती कार्यशाला संपन्न
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में जनजाति गौरव दिवस एवं भगवान बिरसा मुण्डा जी की 150वीं जयंती मनाने कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजाति समुदाय के सम्मान में 15 नवम्बर को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत 2021 में हुई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र की भाजपानीत सरकार ने इसे आधिकारिक तौर पर घोषित किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुण्डा की स्मृति में जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इस वर्ष भगवान बिरसा मुण्डा की 150वीं जयंती है। छत्तीसगढ़ में भी इसे भव्य रूप से मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जनजातीय समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है। यह सोचकर गर्व होता है कि अनेक महान स्वतंत्रता सेनानियों का जन्म जनजातीय समाज में हुआ। अपने देश के लिए संघर्ष करने की परम्परा जनजातीय समाज में प्रारंभ से रही है। शहीद वीर नारायण सिंह, गैंदसिंह, गुण्डाधूर जैसे अनेक महान नायकों ने अपना बलिदान दिया। भगवान बिरसा मुण्डा का शौर्य हमेशा जीवन में साहस की राह दिखाता है - किरण देव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा का शौर्य हमें जीवन में साहस की राह दिखाता है। उन्होंने शोषण मुक्त समाज का सपना देखा था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हीं की परिकल्पना के अनुरूप प्रधानमंत्री जनमन योजना प्रारंभ कर विशेष पिछड़ी जनजाति लोगों के जीवन में समृद्धि लाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज ने हमें प्रकृति के संरक्षण का मार्ग दिखाया हैै, जो आज भी अनुकरणीय है। जनजातीय समाज में प्रकृति की पूजा की जाती है। पूर्वीं छत्तीसगढ़ में साल के पेड़ में जब फूल आते है तो सरहुल पर्व मनाया जाता है। भगवान बिरसा मुण्डा ने आदिवासियों को सम्मान दिलाकर उनकी दिशा और दशा बदल दी - समीर उरांव भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव ने आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस पूरे देश में मनाया जाएगा। भगवान बिरसा मुण्डा देश के इतिहास में ऐसे नायक रहे, जिन्होंने आदिवासी समाज की दिशा और दशा बदलकर रख दी। उन्होंने आदिवासियों को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त होकर सम्मान से जीने के लिए के लिए प्रेरित किया। स्वराज के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए वह केवल 25 साल की उम्र में ही शहीद हो गए। आदिवासी समाज उनको भगवान के तौर पर पूजते है। भगवान बिरसा मुण्डा ने आदिवासियों को समाज में उचित सम्मान दिलाया।
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