लोक निर्माण विभाग के सभी आला अफसर सत्यवादी बन गए हैं।
लोक निर्माण विभाग के सभी आला अफसर सत्यवादी बन गये हैं ।
पीड़ित सेवा निवृत्त इंजीनियर के मौलिक अधिकारों का हनन।
छत्तीसगढ़ शासन लोक निर्माण विभाग में कुछ आला अफसरों द्वारा स्वयं के उच्च पदों पर पदोन्नति पाने के लिए अपने से ऊपर आला अफसरों के सामने स्वयं को एक मात्र हुक्कमों को मानने वाला एवं ईमानदार अफसर होने के सप्रमाण प्रस्तुति के लिए अपने अधीनस्थ निष्ठावान कर्मचारियों के ऊपर झुठी एवं मनगढ़ंत आरोप को मान्य करते हुए सम्बधित पीड़ित कर्मचारी का पारिवारिक पेंशन एवं अन्य देयको की भुगतान की प्रक्रिया को लंबित रख कर पीडित कर्मचारी के परिवार को आर्थिक परेशानी के साथ मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है ।
इस घटना के संदर्भ के अनुसार लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक 03 अटल नगर नवा रायपुर से सहायक एक अभियंता सिविल विगत 31 जूलाई 2023 को अपने पद से सेवा निवृत्त हुयें । उपरोक्त सहायक अभियंता को संवेदनशील राज्य शासन द्वारा विगत 15 सितम्बर 2021 को उप अभियंता पद से सहायक अभियंता के पद पर डी पी सी के माध्यम से नियमानुसार पदोन्नति देने के उपरांत उन्हे लोक निर्माण विभाग उप संभाग अभनपुर में अनुविभागीय अधिकारी के पद पर पदस्थ किया गया था। अभनपुर में 25 वर्षों से अधिक समय से पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी आर.एस. चौरसिया को अभनपुर उप संभाग से प्रमुख अभियंता के कार्यालय में शासन द्वारा समन्वय समिति के जरिये स्थान्तरित किया गया । किन्तु आर.एस. चौरसिया द्वारा उच्च न्यायालय से अपना स्थानांतरण आदेश को रद्द करवाते हुए, अभनपुर वापस पदभार कर लिया गया । तथा उपरोक्त पीड़ित सहायक अभियंता को कार्यपालन अभियंता क्र. 3 के द्वारा संलग्नीकरण आदेश निकाल कर अपने ही कार्यालय में अटैच कर दिया । अनुविभागीय अधिकारी चौरसिया की सेवा निवृत्ति 30 जून 2022 को होने का आदेश था। चौरसिया ने अपने आर्थिक अनियमिततओं को छुपाने के लिए गंभीर साजिश के तहत् मनगढ़ंत एवं जूठा आरोप लगाते हुए कार्यपालन अभियंता क्र. 3 को शिकायत किया । जिसकी प्रतिलिपि तत्कालीन प्रमुख अभियंता को पीड़ित पक्षकार द्वारा उचित कार्यवाही हेतु आवेदन दिया गया । जिसके फलस्वरूप लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता द्वारा विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता को झूठी एंव मनगढ़ंत शिकायत को फोन के माध्यम से तत्काल दर्ज करने का आदेश दिया जाता है।
यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि चौरसिया द्वारा विभाग के अन्य आला अफसरों को झूठी शिकायत को प्रेषित नहीं किया गया था। वर्तमान समय में लोक निर्माण विभाग में इस आश्चर्यजनक बनावटी एवं मनगढ़ंत आरोप का प्रकरण कभी मंत्री जी के दरबार तक जाता है, और कभी लोक निर्माण सचिव के दफ्तर इस सफरनामा के कारण मनगढ़ंत प्रकरण की फाईल का मोटापा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ सेवा निवृत्त हो चुके सहायक अभियंता मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहा है क्यों कि उसे सेवानिवृत्त हुए 2 माह हो चुके हैं और उसके हक का एक पैसा तक उसे नही मिला है जिसमे उसका पेंशन, भविष्य निधि आदि शामिल हैं जो कि विभाग द्वारा मौलिक अधिकारों के स्पष्ट हनन का प्रत्यक्ष प्रमाण है !
लोक निर्माण विभाग के लुकाछिपी के खेला में यही कहा जा सकता है कि लोक निर्माण विभाग छ ग में
पारदर्शिता का पूर्णतः अभाव दिख रहा है, उच्च पदो पर बैठे मनमर्जी आचरण से लिप्त अफसर स्वयं के उच्च पदो पर पदोन्नति के लिए कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों पर झूठी एवं मनगढ़ंत आरोप को तुरंत ही दर्ज करते हैँ एवं पीड़ित कर्मचारी की शेष बचे जीवन काल को कष्टप्रद बना दिया जाता है । और साथ ही वर्तमान समय में बेगुनाह कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों को सभ्य समाज में संदिग्ध आचरण वाला बताकर, उन्हे लगातार मानसिक पीड़ा देने के साथ- साथ बदनाम किया जा रहा है।
विभाग मे सारे नियमों को ताक पर रखकर उच्चाधिकारियों द्वारा मनमानी की जा रही है