काले लिबास में शहर की सडक़ों पर बाइक से फर्राटे भर रहे लंकापति रावण
विजयदशमी का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसके लिए क्षेत्र में अभी से रामलीला की तैयारी चल रही है। कोई राम, लक्ष्मण, सीता, रावण, मेघनाथ, अतिकाय, कुंभकरण इत्यादि का रोल निभा रहे हैं तो मंडली के मैनेजर अच्छी प्रस्तुति के लिए प्रतिदिन कलाकारों से रिहर्सल भी करवा रहे हैं। शहर में मंगलवार को रावण की वेशभूषा में काले लिबास पहनकर सिर पर दस सिर वाले मुखड़ा लगाए हुए मध्यप्रदेश का जगन्नाथ छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम, नवापारा दोनों शहर में घूम-घूम कर लोगों को डायलॉग सुना रहे थे।
उन्होंने एक शॉप में जाकर जोरदार अट्टहास किया। उनके हा हा हा ... की आवाज सुनकर उपस्थित पूरे लोगों का ध्यान उन्हीं की ओर हो गया। उन्होंने फिर तेज आवाज में कहा कि मैं लंकापति रावण हूं। यह सुन कर लोगों ने रावण ब्राह्मण तथा प्रकांड विद्वान थे ऐसा जानकर दक्षिणा स्वरूप रुपए-पैसे भेंट किए। देखते ही देखते उनके बैग में अच्छे खासे रुपए एकत्रित हो गए। फिर वह अपनी बाइक पर फर्राटे भरते हुए आगे निकल पड़े। वह अपने बाइक को पुष्पक विमान मानते हैं। इस दौरान लोगों ने रावण को देखकर कौतूहल में उनके पास जाकर फोटो खिंचवाते रहे। मोबाइल से सेल्फी लिए।
जगन्नाथ ने बताया कि बचपन से ही रावण बनने का शौक था, जिसे रामलीला ने पूरी की। वह दशहरा तक छत्तीसगढ़ के शहरों में घूमेंगे। शहर में भी प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी रावण वध किया जाएगा। लेकिन आचार संहिता के चलते पूरी तरह से सावधानी बरती जाएगी। यहां आतिशबाजी के साथ शानदार दशहरा उत्सव मनाया जाता है। इसी तरह राजिम शहर के दशहरा मैदान में रावण-अंगद संवाद होता है। उसके पहले प्रसिद्ध राजीवलोचन मंदिर ट्रस्ट के द्वारा मंदिर से पालकी दशहरा उत्सव मैदान तक पहुंचेगी। रावण अंगद का संवाद होगा। मेले का स्वरूप देखने को मिलेगा। इसी तरह से गांव में भी रामलीला मंचन का दौर शुरू हो गया है। आसपास के गांव में तो रामलीला के लिए अभी से पूरी तैयारी की जा रही है। भूमिका निभाने वाले कलाकारों के लिए शहर से आवश्यक सामान खरीदे जा रहे हैं। जिनमें मुकुट, सिलवानी, पजामा, धोती, गदा, धनुष बाण, तलवार, त्रिशूल, डमरू इत्यादि के लिए शहर पहुंचकर मनपसंद की सामग्री खरीद रहे हैं। अंगद की भूमिका निभाने वाले नरेश पाल ने बताया कि सामानों की कीमत तेजी के साथ बढ़ी है। सोच समझकर चयन करना पड़ रहा है। वर्तमान में सब जगह नवरात्र पर्व की धूम है। 23 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के साथ ही 24 अक्टूबर दशहरा उत्सव मनाया जाएगा। कहीं-कहीं पर दो-तीन दिन आगे भी बढ़ जाते हैं और शरद पूर्णिमा के पहले ही दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।