कोरबा की हाइप्रोफाइल सीटों पर कांटे की टक्कर, क्या इस बार बदलेगी प्रत्याशियों की किस्मत? देखिए यह खास रिपोर्ट
जिले की सबसे हाइप्रोफाइल सीट कोरबा विधानसभा से इस बार भी जीत बस्तियों से ही निकलेगी, क्योंकि बस्तियों में इस बार 70 फीसदी से लेकर अधिकतम 93 फीसदी तक वोटिंग हुई है। जबकि उपक्रमों के कॉलोनी एरिया में वोटिंग सबसे कम 27 से 40 फीसदी तक ही सीमित रह गई। 17 नंवबर को मतदान के बाद तीन दिसंबर को मतगणना होनी है। दोनों ही प्रमुख पार्टी भाजपा, कांग्रेस के अलावा आप पार्टी भी अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं। पिछले कुुछ चुनावों में वोटिंग का ट्रेंड देखा जाए तो कांग्रेस के गढ़ में इस बार भी अधिक वोटिंग हुई तो वहीं भाजपा के गढ़ वाले बूथों में बम्फर वोट पड़े हैं। हालांकि कई बूथ ऐसे भी हैं जहां वोटिंग कम हुई है। इसका नुकसान दोनों ही पार्टी को उठाना पड़ेगा। इस बार के वोटिंग को देखें तो शिक्षित और नौकरीपेशा वोटरों की तुलना में बस्तियों से अधिक वोटिंग हुई है। अब यह तीन दिसंबर को मतगणना से ही स्पष्ट हो सकेगा कि किसके खाते में वोट अधिक पड़े हैं। स्वीप कार्यक्रम का कोरबा सीट पर नहीं दिखा असर पिछले विधानसभा चुनाव में भी इन्हीं कालोनी एरिया में कम वोटिंग हुई थी। 65 फीसदी से कम वोटिंग वाले करीब 40 से अधिक बूथाें में निर्वाचन विभाग द्वारा महाअभियान चलाया गया था ताकि वोटिंग को लेकर लोगों में रूचि बढ़े, लेकिन स्थिति ये रही कि इस बार भी सीएसईबी, बालको, एनटीपीसी और एसईसीएल के कॉलोनी में वोटिंग फीसदी कम रहा। हालांकि इसके पीछे एक यह भी वजह सामने आ रही है कि बहुत से कर्मचारी परिवार रिटायर या फिर ट्रांसफर के बाद कालोनी छोड़ चुके हैं। उन परिवार मतदाता सूची से नहीं हट सका था। स्वीप कार्यक्रम के तहत ग्रामीण इलाकों में भी मतदान का प्रतिशत आयोग नहीं बढ़ा सका। सभी सीटों पर पिछले विधालसभा चुनाव से कम वोट गिरे हैं।