बोली संग गोली : डीआरजी की इसी खासियत ने बनाया उसे दुनिया का सबसे मारक बल
जगदलपुर। समर्पण कर चुके नक्सलियों को विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) बनाकर नक्सलियों के विरुद्ध उतारने की जो रणनीति बनाई गई थी। वहीं, 2008 में आधार बनी जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) बल की। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि डीआरजी गुरिल्ला युद्ध में दुनिया का सबसे खतरनाक बल है।
स्थानीय बोली-भाषा के जानकार होने के साथ ही क्षेत्र के भूगोल की अच्छी समझ होने से इस बल ने नक्सलियों पर पूरी तरह नकेल कस दी है। बल में सम्मिलित पूर्व नक्सली और महिला कमांडो इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। बल की अगुवाई महिला कमांडो करती हैं।
महिलाओं को इस बल में शामिल करने से अब नक्सलियों को जवानों पर शोषण का झूठा आरोप लगाने का भी मौका नहीं मिलता। डीआरजी ने एक दशक में पांच हजार से अधिक सफल अभियान और 800 से अधिक नक्सलियों को ढेर किया है।
नक्सल संगठन छोड़कर 2014 में डीआरजी में भर्ती होकर इंस्पेक्टर रैंक तक पहुंचे एक अधिकारी कहते हैं कि नक्सल संगठन में रहने के कारण हमें नक्सलियों की रणनीति के बारे में जानकारी रहती है। इसका हमें रणनीतिक लाभ मिलता है। स्थानीय गोंडी-हल्बी बोली बोलते हैं, जिससे खुफिया सूचना भी हमें ग्रामीणों से मिल जाती है।