13 साल के बच्चे की सांसों के लिए संजीवनी बन गए ‘धरती के भगवान’, कृत्रिम वाल्व का प्रत्यारोपण कर दी नई जिंदगी
राजधानी के आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआइ) के हार्ट चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने राजिम के 13 वर्षीय बच्चे के हृदय का आपरेशन कर उसे नई जिंदगी दी है। बच्चों की सांसों के लिए धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर संजीवनी बन गए। डा. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में कृत्रिम वाल्व का सफल प्रत्यारोपण किया गया। डाक्टरों का दावा है कि सरकारी अस्पताल में अब तक के सबसे कम उम्र के बच्चे का वाल्व का प्रत्यारोपण हुआ है।
डा. कृष्णकांत साहू ने बताया कि जब बच्चा ओपीडी में आया तो हार्ट फेल्योर की स्थिति में था। ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था और शरीर सूजा हुआ था। जांच के बाद पता चला कि बच्चे के दो वाल्व खराब हैं, जिसके कारण हृदय ठीक तरह से रक्त को शरीर में पंप नहीं कर पा रहा था। हार्ट का आकार बहुत बड़ा हो गया था। इसे मेडिकल भाषा में कार्डियोमेगाली विद हार्ट फेल्योर कहा जाता है। स्वजन को बताया गया कि आपरेशन करने में बहुत ही ज्यादा रिस्क है।
डा. साहू ने बताया कि आपरेशन के पहले बच्चे को 17 से 18 दिनों तक एंटी फेल्योर ट्रीटमेंट में रखा गया। स्वजन को जानकारी देकर सर्जरी का निर्णय लिया गया। सबसे पहले ओपन हार्ट सर्जरी करके खराब माइट्रल वाल्व को काट कर निकाला गया। उसके स्थान पर टाइटेनियम से बना कृत्रिम वाल्व लगाया गया और ट्राइकस्पिड वाल्व को थ्रीडी कंटूरिंग लगा कर रिपेयर किया गया।
इस आपरेशन को माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट विद बाइलीफलेट मैकेनिकल वाल्व विद टोटल कार्डल प्रेजेंटेशन प्लस ट्राइकस्पिड वाल्व रिपेयर विद थ्री डी कंटूर रिंग कहा जाता है। सर्जरी साढ़े तीन घंटे तक चली। सात दिनों बाद मासूम को डिस्चार्ज कर दिया गया। आपरेशन डा. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना से पूर्णतः निश्शुल्क हुआ।