छत्तीसगढ़ का एक ऐसा सरकारी स्कूल.. जहां बच्चों को पढ़ाने शहर से आते है गांव, कई पालक रह रहे किराए में
धरमजयगढ़ क्षेत्र का लामीखार गांव घने जंगल के बीच बसा है। यहां का प्राथमिक स्कूल जिला मुख्यालय के कई निजी स्कूलों को पढ़ाई के मामले में मात दे रहा है। स्थिति यह है कि शहर में रहने वाले कई ऐसे पालक हैं, जो इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए गांव में किराए का मकान लेकर रह रहे हैं। यहां की पढ़ाई में बच्चों को सब्जेक्ट की पढ़ाई के साथ जनरल नॉलेज की पढ़ाई भी कराई जाती है। यहां के शिक्षकों ने निजी खर्च से बच्चों के लिए लैब के साथ लाइब्रेरी सहित अन्य संसाधन जुटाया है।
यहां के 8 बच्चों को नवोदय विद्यालय में हो चुका है चयन
बता दें कि इस विद्यालय के अब तक 8 बच्चों का चयन नवोदय विद्यालय में हो चुका है। धरमजयगढ़ मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर लामीखार प्राथमिक स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 52 है। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां दो शिक्षक हैं। इन 52 बच्चों में से 8 ऐसे बच्चे हैं, जिनके पालक रायगढ़, कोरबा, मुनुंद व बोकरामुड़ा के निवासी हैं। यह पालक बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मजबूत करने के लिए लामीखार गांव में किराए का मकान लिए हैं और वहां बच्चों की पढ़ाई करा रहे हैं।
पशु-पक्षी का बनाया गया है स्टेच्यू
पशु और पक्षियों के विषय में समझाने के लिए स्कूल परिसर में ही बाघ, शेर, हाथी, मोर, वनभैसा, सांप और भारत माता की स्टेच्यू बनाई गई है। इसके अलावा नदियों के विषय में समझाने के लिए प्रतिकात्मक नदी बनाई गई है। इसमें मांड, केलो, महानदी के उद्गम स्थल का दर्शाया गया है। इन नदियों का पानी हीराकुड डैम में जाता है। ऐसे में हीराकुड डैम भी प्रतिकात्मक स्वरूप में बनाया गया है।