निगम कर्मचारी का पेट दर्द और बीपी से निधन:रायपुर के निजी अस्पताल में ली अंतिम सांस, बतौर पत्रकार अखबारों में दे चुके हैं सेवाएं
निगम कर्मचारी का पेट दर्द और बीपी से निधन:रायपुर के निजी अस्पताल में ली अंतिम सांस, बतौर पत्रकार अखबारों में दे चुके हैं सेवाएं
रायपुर के नगर निगम कर्मचारी अजय वर्मा का (6 मई) सुबह निधन हो गया। वे निगम के जनसंपर्क विभाग में रिकॉर्ड कीपर थे। निगम में नौकरी से उन्होंने बतौर पत्रकार अखबारों में अपनी सेवाएं दी। परिवार के मुताबिक वर्मा को 3 मई को पेट दर्द और ब्लड प्रेशर की शिकायत थी।
परिजनों ने कहा कि चौबे कॉलोनी के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें देवेंद्र नगर के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। इलाज के दौरान उन्हें वैंटिलेटर पर रखा गया था। जहां आज सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।
अजय वर्मा ने पांच दिन पहले ही अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर जानकारी दी थी कि उन्हें कोवीशील्ड की डोज लगी थी। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि कोरोना फर्स्ट लाइन वॉरियर्स होने के नाते 5 मार्च 2021 को उन्हें कोवीशील्ड का पहला डोज लगा था। फिर 26 मार्च 2021 के आसपास उन्हें और उनकी पत्नी को बुखार भी आया था।
उनके मुताबिक लगातार बुखार रहने की वजह जब कोविड टेस्ट करवाया तो उनकी पत्नी की रिपोर्ट पॉजिटिव और और अजय की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। अजय ने लिखा था कि अगर मुझे वैक्सीन नहीं लगी होती तो मैं भी पॉजिटिव निकला होता।
नौकरी के दौरान लिखी किताब
अजय वर्मा ने नगर निगम में नौकरी करते हुए "हमर रायपुर " किताब लिखी। मार्केट में जब यह किताब आई तो हाथों हाथ बिक गई। किताब में शहर के चौक चौराहों से लेकर गली-मोहल्लों के किस्से, देव धाम से लेकर रायपुर की छात्र राजनीति के किस्से पर वर्मा ने लिखा है। जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। उनकी किताब को रायपुर का इनसाइक्लो पीडिया भी कहा जाता है।
पत्रकारिता से नगर नगम में नौकरी का सफर
रायपुर में ही पले बढ़े अजय वर्मा का जन्म 14 जून 1974 को हुआ था । स्नातक की पढ़ाई के उपरांत ये पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए थे। करियर की शुरुआत में अखबार में सर्वेयर की नौकरी ज्वाइन की। धीरे-धीरे सर्कुलेशन में काम किया। बाद में रायपुर के कई समाचार पत्रों बतौर पत्रकार अपनी सेवाएं दी। उसके बाद वे नगर निगम की सरकारी सेवा में आ गए।
रायपुर नगर निगम में सहायक ग्रेड 2 के पद पर कार्यरत थे। इतिहास, संस्कृति और खानपान में इनकी गहरी रुचि रही है। इस क्षेत्र पर इन्होंने करीब 5 साल तक मेहनत कर रायपुर शहर के बारे में लेखन कर सामग्री एकत्रित अपनी पहली किताब लिखी थी।