पहली बार रायपुर में भीष्म टैंक की एंट्री, इसकी दहाड़ से थर्राता है चीन-पाकिस्तान
भारतीय सेना का मुख्य टैंक भीष्म पहली बार रायपुर पहुंचा है। इस टैंक को टी-90 के नाम से भी जानते हैं। इन टैंकों की तैनाती पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर पर होती है। इसकी दहाड़ से दोनों देश थर्राते हैं। रायपुर की धरती पर जब पहली बार इस टैंक का आगमन हुआ तो प्रशासन ने ग्रैंड वेलकम किया है। 5-6 अक्टूबर को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में सशस्त्र सैन्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें जाकर लोग टैंक को देख सकते हैं।
रूस निर्मित है यह टैंक
टी-90 टैंक, जिसे भारतीय सेना ने 'भीष्म' नाम दिया है, रूस में निर्मित तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक है। यह टैंक 2001 से भारतीय सेना का हिस्सा है और इसे राजस्थान, पंजाब में पाकिस्तान सीमा और लेह में चीन सीमा पर तैनात किया गया है। 2005 में इनकी बड़ी खेप भारत आई। हालांकि शुरुआत में यह पूरी तरह रूसी तकनीक से बना था, लेकिन अब इसके कई पुर्ज़े भारत में ही बनाए जाते हैं। तमिलनाडु के अवाडी में इन टैंकों को तैयार किया जाता है।
65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार
वहीं, सामान्य रास्ते पर यह 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है, जबकि ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर इसकी रफ़्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटा तक रहती है। इसकी खासियत यह है कि इसमें टैंक टू टैंक फायर करने वाले गोले होते हैं। साथ ही हाईटेक रडार से दुश्मनों के बारे में जानकारी मिल जाती है।