देश में एक ऐसा गांव जहां अभी भी राम-राज्य; एक सदी में नहीं हुआ कोई भी अपराध दर्ज
राम-राज यानी आदर्श शासन। त्रेता युग में श्रीराम का शासन इसकी मिसाल रहा। प्रेम, करुणा, सद्भाव के साथ न्याय का राज चला। युग बदले और राजकाज का तौर तरीका भी बदलते गया। कालखंड के चौथे भाग कलयुग में राम राज की कल्पना मुश्किल लगती है, लेकिन देश में ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां आज भी राम-राज जैसे हालात हैं। छत्तीसगढ़ में एक गांव तो ऐसा है, जहां 100 बरस से कोई अपराध नहीं हुआ, यह महज बानगी है। मदिरा सेवन से परहेज, रोजाना रामधुन, अपराध से विमुख ऐसे गांवों को हरिभूमि ने इस बार टटोला। ग्रामीणों से बात की और सिस्टम को समझा। 100 सालों से कायम है राम राज्य कोरबा के जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर ग्राम फरसवानी के आश्रित ग्राम फुलझर ऐसा एक गांव है जहां 100 सालों से राम राज चल रहा, ऐसा कहा जा सकता है। यहां एक सदी में एक भी अपराध दर्ज नहीं हुआ हैं। यदि गांव में मारपीट या वाद विवाद की कोई स्थिति निर्मित होती है तो वहां बड़े बुजुर्ग ही आपस में ही बैठकर निपटारा कर लेते हैं। इस गांव में पुलिस भी कदम रखने से पहले सोचती है। एक सदी में नहीं हुआ कोई भी अपराध दर्ज फुलझर गांव ने महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के आदर्श को वास्तव में साकार कर दिखाया है। यहां के ग्रामीण और पुलिस रिकॉर्ड पर यकीन करें तो गांव के लोगों ने 140 साल में कभी भी थाने की दहलीज पर कदम नहीं रखा है। ये गाव पूरे राज्य के लिए एक मिसाल है। गांव की जनसंख्या लगभग 300 है। जिसमें 2 वार्ड आते हैं। बताया जाता है कि गांव में राम राज्य की स्थापना इस गांव के बुजुर्ग रामलाल पटेल ने की थी। हालांकि अब वो इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके बनाए गए नियम कायदों को लोग आदर्श मानकर चल रहे हैं। योजनाओं और साक्षरता के लिए पुरस्कार बताया जाता है कि ग्राम फुलझर को अपराध मुक्त बनाए रखने के लिये तत्कालीन भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने 2011 में फुलझर गांव को आदर्श ग्राम घोषित करते हुए सम्मानित करते हुए 51 हजार रुपए की नकद राशि प्रदान की थी। इस राशि से गांव वालों ने मिलकर हसदेव नदी के किनारे शिव मंदिर का निर्माण कराया था। इस गांव को कई सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के साथ ही साक्षरता के क्षेत्र में अहम योगदान देने के लिए भी पुरस्कृत किया जा चुका है। वहीं कई सामाजिक संगठनों ने भी गांव को सम्मानित किया है। गांव में खुशहाली बनी रहे इसके लिए बड़े बुजुर्गों की बातों का बिना अवहेलना के सभी लोग पालन करते हैं।
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