सुशासन पर संगोष्ठी
डॉ राधाबाई शासकीय नवीन कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ में संचनालय उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्राप्त निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ सरकार के वर्ष पुरा होने पर सुशासन के रूप में मनाया जा रहा है।इसी कड़ी में महाविद्यालय स्तर पर राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा सुशासन पर संगोष्ठी आयोजित किया गया। कार्यक्रम संयोजक डॉ निधि गुप्ता सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी ने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती के रूप में 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है।सरकार में जवाबदेही के भारतीय लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन 25 दिसंबर को प्रति वर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।इसकी शुरुआत 2014 से की गई थी।सुशासन दिवस का उद्देश्य देश में पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में लोगों को जागरूक करना है।यह लोगों के कल्याण और बेहतरी को बढ़ाने के लिए भी मनाया जाता है।अतिथि वक्ता डॉ रुपा सल्होत्रा विभागाध्यक्ष गणित विभाग ने अपने उद्बोधन में कहा कि सुशासन का तात्पर्य है कि निहित प्राधिकार का प्रयोग जवाबदेह,पारदर्शी,पूर्वानुमानित,सहभागी और गतिशील है।विभिन्न लेखक सुशासन के साथ कई सिद्धांतों को परिभाषित और संबद्ध करते हैं,जिनमें से चार सामाजिक सुरक्षा संस्थाओं के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं-जवाबदेही, पारदर्शिता,पूर्वानुमेयता और भागीदारी।सुशासन का लक्ष्य आर्थिक तथा वित्तीय संसाधनों या लोक सेवाओं के सक्षम प्रबंधन से कहीं अधिक व्यापक होता है।यह सरकार को अधिक खुला,जिम्मेदार,पारदर्शी, लोकतांत्रिक तथा संवेदनशील बनाने के साथ-साथ नागरिक समाज संगठनों को मजबूत, तथा निजी क्षेत्र को नियमित करने वाली एक व्यापक सुधार नीति है।सुशासन का उद्देश्य लोगों की बेहतरी है और यह सरकार के लोगों के प्रति जवाबदेह बने बिना संभव नहीं है।सरकारी संस्थाओं,निजी क्षेत्रों और नागरिक समाज संगठनों को जनता और संस्थागत हितधारकों के प्रति जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।मुख्य वक्ता डॉ मनीषा शर्मा विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग ने अपने संबोधन में कहा कि सक्रिय रहना और अपनी भूमिका को समझना ही वह है जिसे हम सुशासन कहते हैं।अच्छे प्रशासन और अच्छे निर्णयों वाली नगरपालिका अकेले शासन नहीं करती। स्थानीय चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए,अंतर्राष्ट्रीय मानकों और राष्ट्रीय कानून के अनुसार,किसी भी धोखाधड़ी से मुक्त होने चाहिए।सुशासन स्थापित संस्थानों और प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।सुशासन समाज के हितधारकों के बीच रचनात्मक सहयोग सुनिश्चित कर सकता है और समाज में राजनीतिक न्याय की प्राप्ति को सक्षम कर सकता है।सहभागितापूर्ण,सर्वसहमति, पारदर्शी,उत्तरदायी,अनुक्रियात्मक,प्रभावी और कुशल,कानून के शासन का पालन ही सुशासन है।सुशासन का लक्ष्य आर्थिक तथा वित्तीय संसाधनों या लोक सेवाओं के सक्षम प्रबंधन से कहीं अधिक व्यापक होता है।यह सरकार को अधिक खुला, जिम्मेदार,पारदर्शी,लोकतांत्रिक तथा संवेदनशील बनाने के साथ-साथ नागरिक समाज संगठनों को मजबूत तथा निजी क्षेत्र को नियमित करने वाली एक व्यापक सुधार नीति है।सुशासन और मानवाधिकार की अवधारणाएं परस्पर सुदृढ़ हैं, दोनों ही भागीदारी,जवाबदेही, पारदर्शिता और राज्य की जिम्मेदारी के मूल सिद्धांतों पर आधारित हैं।सुशासन का लक्ष्य आर्थिक तथा वित्तीय संसाधनों या लोक सेवाओं के सक्षम प्रबंधन से कहीं अधिक व्यापक होता है।यह सरकार को अधिक खुला,जिम्मेदार,पारदर्शी, लोकतांत्रिक तथा संवेदनशील बनाने के साथ-साथ नागरिक समाज संगठनों को मजबूत, तथा निजी क्षेत्र को नियमित करने वाली एक व्यापक सुधार नीति है।संगोष्ठी में राजनीति विज्ञान विभाग की छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं।संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ भूपेंद्र कुमार साहू ने किया।संगोष्ठी के सफल आयोजन में डॉ निशा बारले कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना एवं डॉ पूर्णिमा मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।सुशासन पर संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रीति मिश्रा ने राजनीति विज्ञान विभाग को बधाई दी।