छत्तीसगढ़ की धर्मनगरी का अनोखा इतिहास, इस तरह शहर का नाम पड़ा राजिम
छत्तीसगढ़ राजिम की धर्मनगरी जिन ‘राजिम’ माता के नाम पर है, उनकी जयंती बुधवार को मनाई जाएगी। उनके और शहर के आराध्य राजीव लोचन के बीच का संबंध ही राजिम का इतिहास है। कई प्रचलित किवदंतियों में से एक के मुताबिक, फिंगेश्वर राजा को स्वप्न में विशाल मंदिर बनवाने का आदेश मिला।राजा ने मंदिर तो बनवा लिया, लेकिन उपयुक्त मूर्ति नहीं मिली। ऐसे में मंदिर मूर्ति विहीन था। आज सीएम करेंगे शिरकत राजा को पता चला कि ऐसी एक मूर्ति भक्तिन राजिम के पास है, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी है। राजा ने माता ने आग्रह किया। सबके कल्याण की भावना से उन्होंने यह मूर्ति मंदिर को सौंप दी। आज उसी महान भक्त माता की जयंती पर पूरी कहानी बता रहे हैं रायपुर के दूधाधारी मठ से राजेश्री महंत डॉ. रामसुंदर दास… राजिम में महिला रहती थी। वह रोज तिल का तेल पिरोकर बेचती थी। इसी से उनका परिवार चलता था। एक दिन वह तेल लेकर बाजार जा रही थी। रास्ते में एक पत्थर समान चीज से टकराकर वह गिर पड़ी। उसका सारा तेल भी बह गया। चोट आने से ज्यादा वह इस बात से दुखी हो उठी कि अब पैसे कैसे आएंगे? घर जाकर सास-ससुर की डांट अलग सुननी पड़ेगी। इसके बाद उन्होंने देखा कि वे किस चीज से टकराकर गिरी हैं। वह भगवान श्रीहरि की चतुर्भुज मूर्ति थी। भक्त राजिम उसे अपने घर ले आईं। रोज श्रद्धा से पूजा करने लगीं। इससे उनके व्यापार में उत्तरोत्तर प्रगति भी हुई। बाद में राजा के आग्रह पर सर्व समाज के कल्याण की भावना से उन्होंने यह मूर्ति मंदिर के लिए सौंप दी। राजिम के राजीव लोचन मंदिर में वही मूर्ति विद्यमान है। मां ने जहां समाधि ली, वहीं मंदिर राजिम जयंती पर प्रदेश में साहू समाज का मुख्य समारोह राजिम के साहू छात्रावास में होगा। इसमें प्रदेश के विभिन्न इलाको से साहू समाज के पदाधिकारी, मंत्री, सांसद और विधायक जुटेंगे। कार्यक्रम 2 सत्रों में होगा। पहले सत्र की शुरुआत दोपहर 12 बजे प्रदेश अध्यक्ष टहल साहू द्वारा ध्वजारोहण से होगा।