हेलो.. दीदी और बुआ कट गईं…’17 साल की लड़की की कांपती आवाज, 6 लोगों के लिए काल बनी ‘कालका’
सुबह 9:30 बजे का वक्त था। कार्तिक पूर्णिमा की वजह से चुनार रेलवे स्टेशन श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। चोपन से आने वाली पैसेंजर ट्रेन जैसे ही प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर पहुंची, यात्रियों में उतरने की होड़ मच गई। भीड़ इतनी अधिक थी कि कई श्रद्धालु प्लेटफॉर्म पर उतरने की बजाय दूसरी तरफ ट्रैक की ओर कूद गए। तभी सामने वाले ट्रैक पर कालका एक्सप्रेस आ गई। स्टॉपेज नहीं होने की वजह से ट्रेन की स्पीड करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटे थी। अचानक ट्रेन की सीटी गूंजी और अफरा-तफरी मच गई। पुरुष यात्री किसी तरह प्लेटफॉर्म पर चढ़ गए, लेकिन कई महिलाएं ट्रैक पर ही रह गईं। ट्रेन उनके ऊपर से धड़-धड़ाती हुई निकल गई। कुछ ही सेकंड में प्लेटफॉर्म का नजारा बदल गया। चारों ओर चीखें, खून और बिखरे हुए शव के टुकड़े थे। 'हम बालू घाट जा रहे थे, सब लाइन में थे…' खमरिया की भागीरथी बार-बार एक ही बात दोहरा रही थीं कि हम बालू घाट जा रहे थे, सब लाइन में थे… अचानक दूसरी तरफ से ट्रेन आई, कोई समझ ही नहीं पाया कि क्या हो गया। भागीरथी देवी ने कांपती आवाज में बताया, “हम लोग ट्रेन से उतरकर प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ ही रहे थे कि सामने से कालका एक्सप्रेस आ गई। स्पीड इतनी तेज थी कि कोई भाग नहीं सका। सबकुछ एक झटके में खत्म हो गया।” वहीं एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी रामनारायण यादव ने कहा कि जब ट्रेन गुजरी तो ट्रैक पर शवों के टुकड़े, पूजा की टोकरी और कपड़े बिखरे पड़े थे। शवों को पहचानना भी मुश्किल हो गया।