कलेक्टर साहब! क्या मेरा बेटा भी अनपढ़ ही रहेगा? स्कूल से नाम कटने पर फूट पड़ा पिता का दर्द
• devendra kumar
प्रदेश सरकार जहां शिक्षा गुणवत्ता वर्ष मना रही है, वहीं दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड से सटे ग्राम पंदर में शिक्षा व्यवस्था की एक बेहद चिंताजनक और संवेदनशील तस्वीर सामने आई है। महज 10 साल का मासूम, जिसे स्कूल में पढ़ने जाना चाहिए था, आज गाय चराने को मजबूर है। वजह स्कूल प्रबंधन ने अर्धवार्षिक परीक्षा से ठीक पहले उसका नाम स्कूल से काट दिया।
पीएम श्री शासकीय प्राथमिक शाला अखरा के प्रधान पाठक संतोष कुमार वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने छात्र को समझाने और सुधार का अवसर देने के बजाय सीधे टीसी थमा दी, जिससे बच्चा शिक्षा के अधिकार से ही वंचित हो गया।
CG Education: शिक्षा मंत्री के विधानसभा का मामला
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यह मामला शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव के विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है। हाल ही में मंत्री ने डीईओ और बीईओ को सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधारने के सख्त निर्देश दिए थे, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों के बिल्कुल उलट नजर आ रही है।
कलेक्टर के सामने फूट पड़ा पिता का दर्द
छात्र के पिता, जो रोज-मजदूरी कर परिवार चलाते हैं, न्याय की गुहार लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। आंसू भरी आंखों से उन्होंने सवाल किया ‘साहब, मैं खुद अनपढ़ हूं, क्या मेरा बेटा भी अनपढ़ ही रहेगा? पढ़ाई शुरू होने से पहले ही उसका नाम काट दिया गया।’ परिवार की आर्थिक मजबूरी ऐसी है कि स्कूल से बाहर होने के बाद आर्यन अब घर का सहारा
बनने के लिए पशु चराने निकल पड़ा है।
परीक्षा से पहले नाम काटना अमानवीय
कक्षा पहली से आठवीं तक अर्धवार्षिक परीक्षाएं प्रारंभ होने जा रही हैं। ऐसे समय में किसी बच्चे का नाम काटना न केवल अमानवीय है, बल्कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम का सीधा उल्लंघन भी है। छह से 14 वर्ष तक के हर बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देना सरकार, प्रशासन और स्कूल तीनों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
जिला शिक्षा अधिकारी, अरविंद मिश्रा ने कहा कि मुझे अभी इस मामले की जानकारी नहीं है और न ही कोई शिकायत प्राप्त हुई है। पाटन बीईओ से जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई पर कुछ कहा जा सकेगा।
