छत्तीसगढ़िया दो दशक से अधिक समय से निभा रहे अटलजी को दिया वचन, इस बार 11 में से जीते 10 सीट
छत्तीसगढ़िया दो दशक से अधिक समय से निभा रहे अटलजी को दिया वचन, इस बार 11 में से जीते 10 सीट
रायपुर। भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिए गए वचन को छत्तीसगढ़िया दो दशक से अधिक समय से निभा रहे हैं। राज्य गठन के बाद से अब तक हुए पांच लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से एक या दो से आगे नहीं बढ़ पाई है। केंद्र में सरकार भाजपा की बनी हो या कांग्रेस की, प्रदेश में भाजपा ही एकतरफा बढ़त लेती रही है।
अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में पूरे देश समेत छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का दबदबा था। राम मंदिर आंदोलन के बाद देश की राजनीतिक परिस्थितियां बदलनी शुरू हुईं और भाजपा विजय रथ पर सवार होने के लिए रास्ते पर चल पड़ी। प्रदेश में ये बदलाव राज्य निर्माण के वादे और अटलजी की मांग से जुड़ा है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 1998-99 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रायपुर के सप्रे शाला मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए एक वादा करते हुए एक वचन मांगा था। वचन ये कि छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में डालो और बदले में अलग राज्य ले लो।
अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ से अटलजी को 10 सांसद मिले और 1999 में केंद्र में उनके नेतृत्व में सरकार बनी। अटल जी ने भी एक साल के भीतर छत्तीसगढ़ के लोगों को दिए वादे को पूरा किया। अगस्त 2000 में छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव पास किया और नवंबर 2000 में अलग राज्य की स्थापना हुई।
22 मई 2004 से 17 मई 2014 तक 10 वर्ष तक केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सप्रंग) की डा. मनमोहन सिंह की सरकार में भी लोकसभा चुनाव में जनता ने अटलजी को दिए वचन को निभाया। प्रदेश में भाजपा के दस साल शासनकाल के बाद वर्ष- 2018 में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत से सरकार बनीं थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन लोग अपने वचन पर ही कामय रहे।